Sunday, 15 September 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 2 : Santo Jaagat Nind na Kije !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : २

#शब्द : २ : संतो जागत नींद न कीजै : १

काल न खाय कल्प नहिं ब्यापै, देह जरा नहिं छीजै : २
उलटी गंग समुद्रहि सोखै, शशि औ सूरहि ग्रासै : ३
नौग्रह मारि रोगिया बैठो, जल में बिंब प्रकासै : ४
बीनु चरणन को दहुदिश धावै, बिनु  लोचन जग सूझई : ५
संशय उलटी सिंह को ग्रासे, ई अचरज कोइ बूजै : ६
औंधे घड़ा नहीं जल बूडे, सीधे सो जल भरिया : ७
जेहि कारण नर भिन्न भिन्न करें, सो गुरु प्रसादै तरिया : ८
बैठी गुफा में सब जग देखे, बाहर किछउ  न सूझे : ९
उलटा बाण पारिधिहि लागै, सूरा होय सो बुझई : १०
गायन कहै कबहुं नहिं गावै, अनबोला नित गावै : ११
नटवट बाजा पेखनी पेखै, अनहद हेत बढ़ावै : १२
कथनी बदनी निजु कै जोवै, ई सब अकथ कहानी : १३
धरती उलटि अकाशहि बेधई, ई पुरुषन की बानी : १४
बिना पियाला अमृत अंचवै, नदी नीर भरि राखै : १५
कहहिं कबीर सो युग युग जीवै, जो राम सुधारस चाखै : १६

#शब्द_अर्थ : 

कल्प = काल्पनिक अवधि समय ! देह = स्वरूप! गंग = गंगा ,  सुशमा नाड़ी ! समुद्र = सागर , शरीर !  शशि = चन्द , नाक में बहने वाली धारा नाड़ी ! सूरहि = नाक की दहिनी धारा नाड़ी !  नौग्रह =  पांच इन्द्रिय , चार अंतकरण , ग्रह !  रोगिया = योगी ! बिम्ब = छाया ! संशय = अज्ञान ! सिंह = जीव ! प्रसादईं =  कृपा से ! पारिधीहि = शिकारी , साधक , योगी ! सूरा = वीर !  गायन = गाने वाले !  अनबोला = चेतन राम ! नटवट = नटखट  ! बाजा = सिंगी , तुतारी !  पेखनी = मुद्रा ! अनहद  = अनाहत नाद ! हेत = प्रेम! कथनी = बात ! बदनी =  शर्त , हटग्रह ! जोवै = देखते है ! राम सुधा रस = चेतन राम स्वरूप आनंद , निर्वाण का सुख ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते भाईयो जागृत रहो , अज्ञान को अज्ञान और ज्ञान को ज्ञान कहो , अंध विश्वास से दूर रहो , भ्रम से दूर रहो ! न वैदिक धर्म होमहवन , पूजापाठ , देव पूजा से कुछ हासिल होता है ना मनगढ़ंत बड़बोले योगिक क्रिया से कुछ हासिल होता है ! देह को दुख देकर क्या होगा ? क्या ये जीवन का उद्देश है ? नही ! 

योग से ईश्वर प्राप्ति यह एक कल्पना मात्र है जिस प्रकार वैदिक अग्निहोत्र !  अपने देह को जागृति से समझो ! यही वो चेतन राम है जिसे कोई काल कल्प का बंधन नही वो अमर अजर सदा के लिए है उसे जानो न उसे यज्ञ  ना योग  से जाना जा सकता है केवल शुद्ध मन , निर्मल स्वभाव , पाप रहित जीवन   , दिनचर्या से ही आत्म बोध चेतन राम के दर्शन होंगे !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्तान

No comments:

Post a Comment