Wednesday, 18 September 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 5 : Santo Ek Acharaj Bhoun Bhari !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ५ : संतो अचरज एक भौ भारी ! 

#शब्द : ५ :

संतो अचरज एक भौं भारी, कहों तो को पतियाई : १
एकै पुरुष एक है नारी, ताकर करहु विचारा : २
एकै अण्ड सकल चौरासी, भरम भूला संसारा : ३
एकै नारी जाल पसारा, जग में भया अंदेशा : ४
खोजत खोजत काहु अन्त न पाया, ब्रह्मा विष्णु महेशा : ५
नाग फांस लिये घट भीतर, मूसेनि सब जग झारी : ६
ज्ञान खड़ग बिनु सब जग जूझै, पकरि न काहू पाई : ७
आपै मूल फूल फुलवारी, आपुहि चुनि चुनि खाई : ८
कहहि कबीर तेई जन उबरे, जेहि गुरु लियो जगाई : ९

#शब्द_अर्थ : 

पतियाई = विश्वास ! अण्ड = संसार, शिव श्रृष्टि ! नारी = मन की वासना कामना , इच्छा, तृष्णा ! अंदेशा = चिंता, आशंका ! अन्त = भेद ! नाग फांस = नागपाश , मोह का बंधन ! मुसेनि = झूठा , गलत , चुराना ! खड़ग = तलवार ! जूझै = लड़ना !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो तुम जिस श्रृष्टि का निर्माता ईश्वर खोजते हो उसे पाने उसकी मानगढ़त फोटो , मूर्ति बना कर रात दिन पूजते हो वो तुम्हारे भीतर बाहर श्रृष्टि में चराचर कण कण में स्वयं मूल फूल फुलवारी के रूप में शिव श्रृष्टि , संसार बन पसारा है उसे फोटो मूर्ति में धुंडने की जरूरत नहीं उसे अपने अंतरमन में खोजो ! 

उसके। स्वरूप का दर्शन ज्ञान चक्षु से ही होंगे सामान्य नयन से नही और वो दर्शन ज्ञान मैं देता हूं ! मन में जो मोह माया का बंधन नागपाश की पड़ा है पहले उसे मुक्त करो और जानो की वही चेतन राम जो अजर अमर ज्ञान ज्योति है वही सब बनाती है , बनाती है और मिटाती है ! 

इसलिए मोह माया इच्छा तृष्णा के नागपाश से मुक्त हो कर स्वरूप को जानो तो बार बार जन्म मृत्यु सुख दुख के मोह चक्र से छुटकारा होगा, जैसे मैं सभी भय मुक्त शंका मुक्त हूं और चेतन राम के नित दर्शन करता हूं तुम भी करोगे ! 

मूलभारतीय हिन्दूधर्म वो धर्मात्मा कबीर ने बताया हुवा सत्यधर्म है ! धर्मात्मा कबीर सत्य वक्ता है जो उनके बताए मार्ग कबीरवाणी पवित्र बीजक की राह पर चलेगा उसका मोक्ष होना निश्चित है और संसार में दुख मुक्ति यही मार्ग है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्तान , शिवश्रृष्टि

No comments:

Post a Comment